कॉलेज से निकलने के बाद राजू और फरहान ने बैंक से लोन लेकर और कुछ पैसे खुद लगाकर कपड़ों की एक बड़ी दुकान खोली।पर दुकान इतनी चल नहीं रही थी कि उनकी इतनी कमाई हो की वह बैंक का कर्ज चुका सकें।
(सुबह-सुबह राजू पूजा कर रहा होता है)
फरहान: सुबह-सुबह भगवान को क्यों परेशान कर रहा है उन्हें भी तो थोड़ा सोने दे।राजू: बेशर्मो की तरह बातें करते हुए तुझे शर्म नहीं आती।एक साल होने को आया है दुकान खोले हुए पर बिक्री ही नहीं होती। मुश्किल से कुछ ग्राहक आते हैं हफ्ते में और तुझे सोने की पड़ी है।जाग मेरे भाई जाग।
फरहान: सुबह-सुबह तु भी ना... यार कुछ ना कुछ कर लेंगे।
राजू: क्या कर लेंगे?यह देखा बैंक वालों की चिट्ठी आई है।
फरहान(जल्दी से बिस्तर से उठता है): चिट्ठी? पहले क्यों नहीं बताई।
राजू: तुझे सोने से फुर्सत मिले तब ना।ऊपर से बैंक वालों ने फोन कर कर के परेशान कर दिया।
फरहान: हां तो उन्हें बोल कर कुछ दिनों की और मोहलत मांग ना।
राजू:हां हां सारे काम मैं ही करूं और तू यहां आराम से बैठ। बैंक वाले रोज रोज फोन करके परेशान करते हैं मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता।
राजू: क्या सब्र रख? कम्मो की शादी करनी है लड़के वाले दहेज में मारुति स्विफ्ट मांगते हैं कहां से लाऊंगा पैसे।ऊपर से रोज-रोज बैंकों का यह फोन।
फरहान: अब तू बहस के बीच में बहन की शादी घुसाएगा तो मैं क्या बोलूंगा।मत भूल मैंने भी कॉलेज के बाद अब्बा से कितनी विनती की थी यह बिजनेस शुरू करने की।तु अकेला नहीं है जिसने संघर्ष किया है।.........एक मिनट आज तो रैंचो आने वाला था ना विदेश से?
फरहान: भाई जिंदगी में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं सब्र रख।
राजू: क्या सब्र रख? कम्मो की शादी करनी है लड़के वाले दहेज में मारुति स्विफ्ट मांगते हैं कहां से लाऊंगा पैसे।ऊपर से रोज-रोज बैंकों का यह फोन।
फरहान: अब तू बहस के बीच में बहन की शादी घुसाएगा तो मैं क्या बोलूंगा।मत भूल मैंने भी कॉलेज के बाद अब्बा से कितनी विनती की थी यह बिजनेस शुरू करने की।तु अकेला नहीं है जिसने संघर्ष किया है।.........एक मिनट आज तो रैंचो आने वाला था ना विदेश से?
राजू: यह लो लाड साहब को अभी याद आ रहा है।तुझे क्या लगता है सुबह-सुबह मैंने घर की सफाई क्यों की।आब एयरपोर्ट उसे लेने जाएगा या और भी बहस बाजी करनी है तुझे?
फरहान: जा रहा हूं यार।फरहान: जा रहा हूं यार।
(फरहान रैंचो को एयरपोर्ट से लेकर घर आता है। तीनों दोस्त आपस में बैठकर बात कर रहे होते हैं। तभी रैंचो देखता है कि राजू को बार-बार किसी का फोन आ रहा है।
(फरहान रैंचो को एयरपोर्ट से लेकर घर आता है। तीनों दोस्त आपस में बैठकर बात कर रहे होते हैं। तभी रैंचो देखता है कि राजू को बार-बार किसी का फोन आ रहा है।
रैंचो: यह इतनी बार किसका फोन आ रहा है राजू?
राजू: पूछ मत यार बिजनेस खोलने के लिए बैंक से लोन लिया था और अब इंस्टॉलमेंट दे नहीं पा रहे हैं।
रैंचो: क्यों? बिजनेस चल नहीं रहा क्या?
फरहान: बहुत बुरी हालत है यार ग्राहक ही नहीं आते हैं।कुछ गिने-चुने ही आते हैं उतने में क्या कमाई होगी?घर चलाए या बैंक वालों को इंस्टॉलमेंट दे।
राजू: और कमो की......
फरहान: हां हां पता है कम्मो की शादी करनी है और लड़के वाले मारुति स्विफ्ट मांग रहे हैं।
रैंचो: यार तू टेंशन बहुत लेता है अपने दिल पर हाथ रख और बोल ऑल इज वेल।
राजू: और इससे प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी?
रैंचो: नहीं पर प्रॉब्लम को झेलने की ताकत जरूर आ जाएगी।.......अच्छा यह बता कहीं इश्तिहार दिया अपने दुकान का?
फरहान: हां अखबारों में इश्तिहार दिया था पर कुछ भी नहीं हुआ।
रैंचो: मेरे पास एक तरकीब है,सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा पर मुझे लगता है कि यह काम जरूर करेगा।शहर में सारे ऑटो के पीछे इश्तेहार लगवाते। कितना अच्छा होगा ना चलता फिरता इश्तेहार।
राजू: और ऑटो वाले ऐसा करने देंगे?
रैंचो: नहीं,हमे उन्हें कुछ पैसे देने होंगे ताकि वह अपने ऑटोके पीछे हमें अपना इश्तेहार लगवाने दे।
फरहान: मानना पड़ेगा यार सही आईडिया है। पर एक प्रॉब्लम है महीने के आखिरी कुछ दिन चल रहे हैं तो हमारी सारी कमाई तो खर्च हो चुकी है।
रैंचो: हां तो मेरे पास कुछ पैसे हैं उनसे काम हो जाएगा।
राजू: नहीं नहीं हम तुझसे पैसे कैसे ले सकते हैं यार।
रैंचो: दोस्त ही तो दोस्त के काम आएगा।बाद में जब पैसे हो जाए तो मुझे वापस कर देना।
(तीनों ने जा जाकर ऑटो के पीछे इश्तेहार लगाने शुरू कर दिए।शहर के सारे ऑटो तो नहीं पर जितने हो सकते थे उतने ऑटो पर।और ऑटो वाले को भी कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि उन्हें इस काम के लिए पैसे मिल रहे थे।धीरे-धीरे उन्होंने देखा कि परिणाम काफी अच्छा निकल कर आया है।अब उनके दुकान में रोजाना भारी संख्या में ग्राहक आते हैं।और अब उनके पास इतने पैसे भी हैं कि वह अब धीरे-धीरे करके बैंक का कर्ज चुका सकते हैं।)
राजू: मानना पड़ेगा यार रैंचो का आईडिया कमाल का था।
फरहान: मगर यह रैंचो है कहां?
राजू: घर में होगा।जाकर उसे यह खुशखबरी देते हैं।
(राजू और फरहान घर पहुंचते हैं और पातें हैं कि रैंचो वहां नहीं है)
फरहान: रैंचो कहीं दिखाई नहीं दे रहा यार।उसने एक चिट्ठी छोड़ी है ,पढ़ तो।
राजू: "माफ करना कुछ जरूरी काम आ गया था इसलिए बिना बताए जाना पड़ा"।
(फरहान मन ही मन में सोच रहा होता है।कुछ तो बात थी उसमें।एक फरिश्ते की तरह वह आया और हमारी परेशानी सुलझा कर चला गया।)