हैप्पी प्लेस
तिवारी जी ने आज सुबह से कुछ नहीं खाया है अंगूरी भाभी घर पर जो नहीं थी ! अंगूरी जी जब घर पर आती है तो तिवारी जी को उदास बैठा पाती हैं।
अंगूरी भाभी : लड्डू के भैया क्या हुआ आप ऐसे उदास क्यों बैठे हो कुछ खाया सुबह से ? मैंने टिल्लू भैया को बोल दिया था आपको पराठे बना कर देने के लिए।
तिवारी जी : पगली मैं कुछ नहीं खा रहा मेरा मन नहीं है। अंगूरी भाभी मन में सोचती हैं कि तिवारी जी तो कभी इतनी देर तक भूखे नहीं रहते क्या बात है।
अंगूरी भाभी पूछते हैं क्या हुआ कुछ समस्या है तो बताइए?
तिवारी जी: पगली हमारा प्ले स्कूल तो बिल्कुल चल ही नहीं रहा उस में लगाई हुई सारी रकम डूब जाएगी।
अंगूरी भाभी : आप चिंता मत कीजिए हम कोई ना कोई उपाय सोच लेंगे ।
अंगूरी भाभी : आप चिंता मत कीजिए हम कोई ना कोई उपाय सोच लेंगे ।
अंगूरी भाभी बहुत विचार करती हैं लेकिन जब उनको कुछ हल दिखाई नहीं दिया तो वह अनिता भाभी को सारी समस्या बता देती हैं।
अनिता भाभी : अंगूरी जी आप चिंता मत कीजिए थोड़ा समय दीजिए मैं कुछ सोच कर फिर आपको बताती हूं।
अगले दिन अनिता भाभी अंगूरी भाभी के घर आती हैं तिवारी जी और अंगूरी जी से बात करती हैं उन्हें बताती है कि आप अपने प्ले स्कूल को ऑनलाइन लेकर जाइए, जमाने के साथ चलिए हर समस्या का हल इंटरनेट पर है।
तिवारी जी : लेकिन भाभी जी हमें तो इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं हम प्ले स्कूल को ऑनलाइन कैसे लेकर जा सकते हैं।
अनिता भाभी : तिवारी जी इसमें इतनी चिंता वाली कोई बात नहीं! आप किसी भी वेब डेवलपर की मदद से यह काम कीजिए वेब डेवलपर कोई ऐसा ढूंढिए जो अपने काम में माहिर हो।
तिवारी जी: भाभी जी आपकी पहचान में कोई हो तो बताइएगा।
अनिता भाभी : हां तिवारी जी मैं एक वेब डेवलपर को जानती हूं मैं आपकी बात उससे करा दूंगी ।
उसी दिन शाम को अम्मा जी (तिवारी जी की मां) तिवारी जी के घर आती हैं।
अंगूरी भाभी : प्रणाम अम्मा जी ।
अम्मा जी : खुश रहो मोरी बिटिया! यह बैल कहां है इसे बुलाओ तो नीचे।
तिवारी जी घर के अंदर प्रवेश करते हैं प्रणाम अम्मा तुम कब आई।
अम्माजी : बैल तुमको हमने मना किया था यह प्ले स्कूल मत खोलो पर तुमको हमारी माननी कहां है! अब कर दिया ना हमारी बिटिया को परेशान।
अंगूरी भाभी : नहीं अम्मा जी हम बिल्कुल ठीक हैं आप लड्डू के भैया को कुछ मत कहिए वह भी परेशान हैं।
तिवारी जी ने वेब डेवलपर से बात की है और अपना प्ले स्कूल ऑनलाइन ले जाने के लिए सब इंतजाम कर दिए हैं तिवारी जी ने डोमेन नाम प्ले स्कूल के नाम पर ही रखा है हैप्पी प्लेस (खुशी का स्थान)।
तिवारी जी अनिता भाभी के घर जाते हैं और हमेशा की तरह कहते हैं भाभी जी घर पर हैं लेकिन आज बहुत धीमी आवाज में कहा।
अनिता भाभी : आइए आइए तिवारी जी क्या हुआ आप बड़े उदास लग रहे हैं।
तिवारी जी : भाभी जी आप के कहने पर मैंने प्ले स्कूल ऑनलाइन तो कर दिया लेकिन मुझे यह ऑनलाइन चीजें समझ नहीं आती वहां अम्मा जी भी मुझ पर बहुत नाराज़ हैं।
अनिता भाभी : तिवारी जी अभी-अभी आपने सब कुछ समझना शुरू किया है थोड़ा समय दीजिए आपको भी समझ आने लगेगा और जब तक समझ नहीं आ रहा तब तक जिस आदमी का मैंने आपको नंबर दिया था उस से मदद लेते रहिए।
तिवारी जी: वेब डेवलपर से बात करते हुए तिवारी जी भाई साहब काम कहां तक हुआ।
वेब डेवलपर: देखिए रजिस्ट्रेशन तो करा दी है बस वेबसाइट में थोड़े अपडेट्स बाकी हैं।
तिवारी जी: अनिता भाभी कुछ बात कर रही थी सब्सक्रिप्शन प्रोसेस के बारे में वह क्या होता है?
वेब डेवलपर: तिवारी जी सब्सक्रिप्शन होता है हर महीने या साल में एक साथ सारी फीस जमा कराना इसके बाद ही अभिभावकों को पढ़ाई की सारी सामग्री दी जाती है वह जब चाहे जैसे चाहे उनको प्रयोग कर सकते हैं जैसे आप देखते होंगे आजकल लोग फिल्में देखने कम जाते हैं अब वेब सीरीज़ का जमाना आ गया है तो वेब सीरीज़ वह आपको मुफ्त में तो नहीं दिखाएंगे उसके लिए भी आपको उनकी वेबसाइट पर जाकर सब्सक्राइब करना होता है और उनके तय मूल्य अदा करने होते हैं इसी को सब्सक्रिप्शन की प्रक्रिया कहते हैं।
तिवारी जी: यह समझना तो थोड़ा मुश्किल लग रहा है आपने यह बात मुझे तो समझा दी लेकिन हम अभिभावकों को कैसे समझाएंगे?
वेब डेवलपर: हम एक सब्सक्रिप्शन गाइड बना सकते हैं जिसमें सारी प्रक्रिया आसान तरीके से समझाई गई हो।
तिवारी जी: हां यह बिल्कुल सही रहेगा।
दो दिन बाद वेब डेवलपर तिवारी जी से बात करते हुए।
वेब डेवलपर: और बताइए तिवारी जी आगे का क्या सोचा है वेबसाइट तो तैयार है आपकी सारे काम भी लगभग हो ही गए हैं।
तिवारी जी: हां मुझे तो लगता है सारे काम हो ही गए।
वेब डेवलपर: तिवारी जी आपने विज्ञापन का क्या सोचा है?
तिवारी जी: अभी से विज्ञापन अभी थोड़ा चलने तो दो!
वेब डेवलपर:तिवारी जी विज्ञापन आपको अभी से देना शुरू करना होगा जभी तो ज्यादा से ज्यादा लोग आपके प्लेस्कूल को जान पाएंगे।
तिवारी जी: अच्छा तो फिर विज्ञापन कहां-कहां दूं?
वेब डेवलपर: टीवी में दे सकते हैं अखबारों में दे सकते हैं और पोस्टर भी छपवा सकते हैं पोस्टर पर लोगों का जल्दी ध्यान जाता है।
वेब डेवलपर: टीवी में दे सकते हैं अखबारों में दे सकते हैं और पोस्टर भी छपवा सकते हैं पोस्टर पर लोगों का जल्दी ध्यान जाता है।
तिवारी जी बिल्कुल वही सब करते हैं जो वेब डेवलपर उनसे कहता हैं। तिवारी जी ने सब कुछ बड़ी जल्दी सीख लिया और बड़े अच्छे से सब कुछ संभाल लिया।
कुछ समय बाद तिवारी जी अम्मा जी को बता रहे हैं प्ले स्कूल अब अच्छा चल रहा है अब वह और दूसरे अध्यापकों से भी बात करेंगे क्योंकि अब और अध्यापकों की आवश्यकता हो रही है और उन्हें भी अपने हैप्पी प्लेस में जोड़ेंगे।
अम्मा जी : बेल अब हमारी बिटिया को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए अब तो तुम्हारा प्ले स्कूल भी सही जा रहा है नहीं तो हम तुम्हारी हड्डियां तोड़ देंगे।